अर्जुन कौन थे उनका संपूर्ण विवरण


अर्जुन हिन्दू धर्म के प्रमुख चरित्रों में से एक हैं, जो महाभारत के महानायकों में से एक हैं। उनका पूरा नाम अर्जुन कुंती पुत्र धनंजय था। अर्जुन पांडवों के वीर और महान योद्धा थे जो महाभारत युद्ध के दिनों में पराक्रम और धैर्य के प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध थे।


अर्जुन के पिता का नाम पांडु था, जो कुरुक्षेत्र के राजा धृतराष्ट्र का भाई था। उनकी माता का नाम कुंती था, जो कुरुवंश के राजा शुरसेन की पुत्री थीं और महाभारत के कुंती पार्वती के रूप में भी जानी जाती हैं। अर्जुन के तीन भाई और एक बहन थीं - युधिष्ठिर, भीम, नकुल, और सहदेव।


अर्जुन धनुर्वेद के माहिर थे और उनका विशेष धनुषों पर निर्भर उत्तम निशाना था। उन्होंने गुरु द्रोणाचार्य के निर्देशन में अद्वितीय योद्धा और धनुषधारी के रूप में प्रतिष्ठित होने के लिए अनेक प्रमाण दिए।


अर्जुन की पत्नी का नाम द्रुपदी (पांचाली) था, जो कृष्णा के नारायणी स्वरूप वसुदेव की पुत्री थीं।


अर्जुन का महाभारत में महत्वपूर्ण योगदान था, विशेष रूप से उनके संजय संवाद, उनके धर्मसंकट और अंतिम युद्ध के दौरान उनके देवदूतीय उपदेशों के माध्यम से। भगवद्गीता के रूप में उनके महान उपदेश महाभारत के शिखर अद्वितीय मोमेंट के रूप में माना जाता है। उन्होंने भगवान कृष्ण के साथ अपनी भक्ति और साधना के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण सवालों का समाधान किया और अपने कर्तव्य को पूरा किया। उन्होंने कुरुक्षेत्र युद्ध में पांडवों की सेना का महान रथयात्री और नेता के रूप में भी अपना प्रदर्शन किया।


अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय और विशेष मित्र थे, और उन्होंने अपने जीवन के महत्वपूर्ण संघर्षों और युद्ध में कृष्णा के साथ मिलकर धर्म की रक्षा की। उनकी प्रेम और वफादारी के लिए उन्हें "जयसेन" और "पार्थ" भी कहा जाता है।






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