द्रोणाचार्य की महत्वपूर्ण भूमिकाएँ:
कुरुक्षेत्र युद्ध में सेनापति: द्रोणाचार्य कुरुक्षेत्र युद्ध में कौरवों की सेना के सेनापति थे। उन्होंने अपने विद्या और कुशलता से युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पांडवों का गुरु: द्रोणाचार्य ने पांडवों को योद्धा बनाने के लिए उनका गुरु बना था। उन्होंने अपने शिष्यों को धनुर्विद्या और युद्धकला में प्रशिक्षित किया।
एकलव्य का गुरु: द्रोणाचार्य एकलव्य के गुरु भी थे। वे एकलव्य को योद्धा बनाने के लिए शिक्षा देते थे, लेकिन अर्जुन के गुरु बनने के बाद वे एकलव्य को अपनी शिक्षा से वंचित कर दिया।
अश्वत्थामा के पिता: द्रोणाचार्य का पुत्र अश्वत्थामा भी महाभारत में एक महत्वपूर्ण चरित्र था और कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद भी जीवित रहा।
इतिहास के लिए महत्वपूर्ण: द्रोणाचार्य की शिक्षा और उनका योगदान महाभारत के इतिहास में महत्वपूर्ण है। उनके प्रशिक्षण से पांडवों और कौरवों के बीच भयानक युद्ध हुआ जिसे कुरुक्षेत्र युद्ध के रूप में जाना जाता है।
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