महाभारत का युद्ध कब कहाँ और क्यों हुआ और इसके पात्र कोण थे

महाभारत का युद्ध, भारतीय संस्कृति के महाकाव्य महाभारत की महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। यह युद्ध कृष्ण और अर्जुन के संवाद के रूप में ज्ञात है, जो भगवद गीता के रूप में प्रसिद्ध है। महाभारत का युद्ध क्रमश: कुरुक्षेत्र में हुआ, जो आजकल हरियाणा राज्य के गुरुग्राम जिले में स्थित है। यह युद्ध धर्म और अधर्म के संघर्ष का प्रतीक बन गया है, जिसमें धर्म की विजय को प्रमुखता मिली।


युद्ध के मुख्य पात्र थे पांडव और कौरव। पांडवों के पांच भाई - युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, और सहदेव - और उनकी माता कुंती सभी पात्रों को महत्वपूर्ण बनाते हैं। दूसरी ओर, कौरवों के पांच भाई - धृतराष्ट्र, दुर्योधन, दुष्टदमन, दुष्टकर्मा, और दुष्टान्त - उनके प्रतिद्वंद्वी थे।


महाभारत के युद्ध का कारण था सत्ता और धर्म के लिए संघर्ष। धृतराष्ट्र के पुत्र दुर्योधन की लालसा और अधर्मपन के कारण पांडवों के साथ विवाद हुआ। उन्हें अपना हिस्सा नहीं मिलने के कारण उन्होंने पांडवों को राजा बनने से रोकने का प्रयास किया।


युद्ध के पहले, अर्जुन भगवान कृष्ण के साथ धर्मयुद्ध के विषय में चर्चा करते हैं, जिसे भगवद गीता के रूप में ज्ञात किया गया है। युद्ध के दौरान, भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कर्ण, और दुर्योधन जैसे योद्धाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


युद्ध का उद्देश्य धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश था। इस युद्ध के द्वारा धर्म की विजय हुई और अधर्म का अंत हुआ। यह युद्ध भारतीय समाज की महत्वपूर्ण घटना रही है और उसके उदाहरण और संदेश आज भी जीवित हैं।

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