इस एकादशी को 'षटतिला' के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस दिन भक्त षट धान्य (शस्तिका, धान, मसूर, मूंग, मठ, गहूं) या षट (चना, वट, घी, तिल, खेती बर्तन) का दान करते हैं।
षटतिला एकादशी के व्रत में, भगवान विष्णु की पूजा के लिए दिनभर उपवास किया जाता है और रात्रि में जागरण किया जाता है। इस एकादशी को विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है।
षटतिला एकादशी का महत्व है कि इसे मनाने से विवाहित जीवन में सुख-शांति और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, और पापों से मुक्ति प्राप्त होती है। इस एकादशी का पालन करने से भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से भक्त की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
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