कर्ण, महाभारत महाकाव्य के एक महत्वपूर्ण चरित्र थे। उन्हें आधिकारिक रूप से कुंती और सूर्य देव का पुत्र माना जाता है।
कर्ण की जीवनी:
वंशज: कर्ण को कुंती ने सूर्य देव से प्राप्त किया था, लेकिन वह उनके असली पुत्र नहीं थे। कुंती ने उन्हें जल में छोड़ दिया था और उन्हें सूर्य देव ने धर्म के लिए उठाया था।
धनुर्विद्या की प्रतिभा: कर्ण एक श्रेष्ठ धनुर्विद्या विशेषज्ञ थे और महारथी योद्धा के रूप में प्रस्तुत किए गए थे।
द्रोणाचार्य का शिष्य: कर्ण ने धर्मराज युद्धिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव के साथ मिलकर धनुर्विद्या का अभ्यास किया था।
कौरवों के साथी: कर्ण महाभारत महाकाव्य में कौरवों के पक्ष में समर्थ योद्धा के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
कुंती का पुत्र: बाद में पता चलता है कि कर्ण कुंती का पुत्र है, जिसका पता उन्हें युद्ध के दौरान ही लगता है।
अश्वत्थामा का मित्र: कर्ण और अश्वत्थामा महाभारत के दौरान गहरी मित्रता बाँधते हैं।
युद्ध और मृत्यु: कर्ण ने कुरुक्षेत्र युद्ध में कौरवों की सेना के सेनापति के रूप में युद्ध किया और अंत में अर्जुन द्वारा उनका वध किया गया।
कर्ण का कठिन परिस्थितियों में जीवन, उनकी वीरता, समर्पण और धर्म के प्रति समर्पण महाभारत महाकाव्य में महत्वपूर्ण रूप से प्रस्तुत किया गया है।
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