पितामह भीष्म कौन थे साथ थी उनकी जीवनी बताइए


पितामह भीष्म, महाभारत महाकाव्य में एक महत्वपूर्ण चरित्र थे। उन्हें गंगा का पुत्र माना जाता है।


भीष्म की जीवनी:


अपमनः श्रेयोनिधिर्नास्ति मां प्रार्थये सदा त्वाम्।

भीष्म का असली नाम देवव्रत था, जो किंग शांतनु और गंगा के पुत्र थे। उनके पिता की शाप से उन्होंने विवाह नहीं किया और पितामह भीष्म के रूप में जाना जाता है।


ब्रह्मचारी और श्रेष्ठ योद्धा: भीष्म ने अपने जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन किया और वीरता के क्षेत्र में महान योद्धा के रूप में उनकी प्रशंसा की जाती है।


पांडवों की शिक्षा: भीष्म ने पांडवों और कौरवों को शस्त्रविद्या और धर्म की शिक्षा दी। उन्होंने अपने ज्ञान का साझा किया और उन्हें धर्म के प्रति समर्पित किया।


कुरुक्षेत्र युद्ध में भूमिका: भीष्म कुरुक्षेत्र युद्ध में कौरवों की सेना के सेनापति थे। वे अपने धर्म के प्रति समर्पित थे और अपने वचन का पालन करते हुए युद्ध करने का संकल्प किया।


मृत्यु: भीष्म युद्ध के अंत में अपनी बेदी पर लेट कर विराजमान होकर अंतिम प्राण त्याग किया।


भीष्म की जीवनी महाभारत के महान चरित्रों में से एक है, जिनका धर्म और निष्ठा के प्रति समर्पण महत्वपूर्ण उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया है।


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