दुर्योधन कौन था और महाभारत में उसकी क्या भूमिका थी


 दुर्योधन महाभारत के युद्ध कांड में एक महत्वपूर्ण चरित्र थे। वे कौरवों के परम नेता थे और हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र के अंधे पुत्र थे। उनकी माँ का नाम गांधारी था।


दुर्योधन की महाभारत में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ थीं:


कौरवों के नेतृत्व: दुर्योधन कौरवों के नेता थे और उन्होंने अपने परिवार की सेना को महाभारत युद्ध के लिए प्रेरित किया।


पांडवों के साथ विरोध: दुर्योधन ने पांडवों के साथ विरोध बढ़ाया और उन्हें हस्तिनापुर से बाहर निकालने के लिए अनेक अधर्मपूर्ण कार्य किए।


भीषणता: दुर्योधन का चरित्र महाभारत में काफी भयानक और क्रूर दिखाया गया है। उनकी दुष्टता, लालच, और अधर्मपरायणता के कारण वे कई बार अपने विरोधियों के प्रति क्रूरता और न्यायविरुद्ध कार्य करते थे।


कौरवों की पराजय के कारण: दुर्योधन के अधर्मपरायण और दुराचारी कार्यों के कारण, कौरवों को महाभारत युद्ध में हार का सामना करना पड़ा।


भगवद्गीता में उनकी भूमिका: दुर्योधन भगवद्गीता में धृतराष्ट्र के बेटे के रूप में प्रतिष्ठित हैं, जिन्हें उनके सारथि संजय ने युद्ध के घटनाक्रमों का विवरण दिया। भगवद्गीता में उनके अंतिम उद्दीपन के परिप्रेक्ष्य में दुर्योधन का वर्णन किया

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