"ब्रह्माण्ड पुराण" भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पुराण है जो कि ब्रह्माण्ड के उत्पत्ति, संरचना, और विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, और आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा करता है। यह पुराण महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखा गया था और प्राचीन काल में उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप के अंतर्गत लिखा गया था।
"ब्रह्माण्ड पुराण" में ब्रह्मांड के सृष्टि, संरचना, और प्रलय का विस्तृत वर्णन है। इसके अलावा, यह पुराण ब्रह्मा, विष्णु, और शिव जैसे प्रमुख देवताओं के विषय में भी चर्चा करता है। इसमें धर्म, अधर्म, कर्म, मोक्ष, और परलोक के विषयों पर भी विस्तार से विचार किया गया है।
"ब्रह्माण्ड पुराण" में सृष्टि के प्रारंभ में ब्रह्मा के सृष्टि क्रम का वर्णन किया गया है, जिसमें ब्रह्मा ने जीव, पृथ्वी, आकाश, और देवताओं को सृष्टि किया। इसके बाद ब्रह्मा ने विविध विष्णु और शिव अवतारों को उत्पन्न किया, जो कि ब्रह्मांड की सृष्टि, संरक्षण, और संहार के लिए उत्तरदायी हैं।
इस पुराण में धर्म, कर्म, और उद्दीपन के महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा की गई है। यह पुराण भगवान के प्रेम और भक्ति के महत्व को भी प्रमोट करता है। इसके अलावा, अन्य पुराणों की उत्पत्ति, विशेषता, और महत्व के विषय में भी बताया गया है।
सम्पूर्ण रूप से, "ब्रह्माण्ड पुराण" भारतीय संस्कृति के धार्मिक और सामाजिक जीवन को समझने और समृद्धि के मार्ग को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण ज्ञान प्रदान करता है।
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