पद्म पुराण क्या है और इसको कब और किसने लिखा


 


"पद्म पुराण" भारतीय संस्कृति के प्रमुख पुराणों में से एक है जो अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक और साहित्यिक ग्रंथ माना जाता है। यह पुराण भगवान ब्रह्मा के द्वारा लिखा गया माना जाता है और इसका प्राचीनतम संस्करण भगवतकाल में ब्रह्माजी के द्वारा किया गया था। "पद्म पुराण" का विस्तृत आकार और विवादित प्रकृति के कारण, इसका संस्करण विभिन्न काल में संशोधित और पुनर्रचित किया गया है।


"पद्म पुराण" का नाम इसलिए है क्योंकि इसका संबंध पद्मनाभ (पद्मनाभ मंदिर के साथ) से है, जिसे के कहानी में यह पुराण विस्तार से उल्लेखित है। इस पुराण में विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों के बारे में विस्तृत वर्णन है जिसमें भगवान विष्णु के महात्म्य, महापुरुषों के जीवन कथाएं, उनके अवतार, तीर्थ स्थलों का महत्व, व्रत-त्यौहार, धार्मिक कार्यक्रम और पुण्यकर्मों का विवरण शामिल है।


यह पुराण चार खंडों में विभाजित है: सृष्टि खंड, भूमि खंड, स्वर्ग खंड और पाताल खंड। प्रत्येक खंड अलग-अलग धार्मिक और साहित्यिक विषयों पर ध्यान केंद्रित करता है।


"पद्म पुराण" में भगवान विष्णु और उनके अवतारों के महात्म्य का वर्णन, भगवान कृष्ण के लीलावली, महादेव-पार्वती के दर्शन, व्रत-त्यौहारों का महत्व, प्रेत-राजा कथाएं, तपोवन, महापुरुषों के जीवन और उनके उपदेश, स्वर्ग, नरक, कर्म, धर्म, और ध्यान के विषयों पर विस्तृत वर्णन है।


सम्पूर्ण रूप से, "पद्म पुराण" भारतीय संस्कृति के धार्मिक और सामाजिक जीवन को समझने और समृद्धि के मार्ग को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण ज्ञान प्रदान करता है।

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