"मार्कण्डेय पुराण" भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण पुराणों में से एक है। यह पुराण महर्षि मार्कण्डेय द्वारा लिखा गया है और इसके नाम पर ही इसे "मार्कण्डेय पुराण" कहा जाता है।
"मार्कण्डेय पुराण" का लिखने का काल बहुत प्राचीन है, और इसका विस्तारपूर्ण निर्माण कई युगों में हुआ है। यह पुराण विभिन्न विषयों पर चर्चा करता है, जैसे कि धर्म, अध्यात्म, कर्म, ध्यान, और भक्ति। इसके अलावा, इसमें ब्रह्माण्ड के रचना, संरचना, और परिचय के बारे में भी विस्तृत विवरण है।
"मार्कण्डेय पुराण" के कई अध्याय हैं, जिनमें भगवान शिव, देवी पार्वती, भगवान विष्णु, और अन्य देवताओं के महत्वपूर्ण कथाएं और लीलाएं शामिल हैं। इस पुराण में वेदांत, योग, और तांत्रिक सिद्धांतों के विविध विषयों पर भी चर्चा की गई है।
"मार्कण्डेय पुराण" का महत्वपूर्ण योगदान भारतीय संस्कृति और धार्मिक जीवन में है, और यह पुराण विशेष रूप से भगवान शिव के उपासना के लिए प्रसिद्ध है। इसका अध्ययन और ध्यान धर्म, आध्यात्मिकता, और भक्ति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण है।
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